भारत की जीडीपी वृद्धि दर में आई कमी सात तिमाही घटकर हुआ 5.4%

भारत की जीडीपी वृद्धि दर में आई कमी सात तिमाही घटकर हुआ 5.4%

 जुलाई से सितंबर तक में भारत की जीडीपी वृद्धि दर सात तिमाही के निचले स्तर 5.4% पर आ गई है

 

India GDP Growth Rate: जुलाई से सितंबर तक में भारत की जीडीपी वृद्धि दर सात तिमाही के निचले स्तर 5.4% पर आ गई है, जो 6.5 प्रतिशत के आम सहमति अनुमान से बहुत कम है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों से पता चला कि जीडीपी की दर में कमी हुआ है और इसका कारण सरकारी व्यय की निरंतर धीमी गति और कमजोर निजी खपत बताया जा रहा है। जिसने आर्थिक विकास को काफी प्रभावित कर दिया है।

 

किन कारणों से हुई गिरावट?

 

बताया जा रहा है कि लंबे समय तक बारिश होने के कारण खाद्य पदार्थों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ा। प्राथमिक क्षेत्र में कृषि क्षेत्र ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा जिसमें जुलाई से सितंबर के बीच 3.5% की वृद्धि देखने को मिली। अन्य क्षेत्रों में जिसमें सेवा क्षेत्र शामिल है उसमें भी गिरावट देखने को मिली है। जिसके कारण भारत की अर्थव्यवस्था डगमगा चुकी है। ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर उम्मीद से कहीं अधिक गिरकर 5.4 रह गई, जिसमें कई क्षेत्रों में नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला। विशेष रूप सेवा निर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर में कमी और खनन में मामूली संकुचन, सेवा क्षेत्र में अनुमानित वृद्धि दर से भी कम है।

 

अर्थशास्त्रियों का क्या कहना है?

भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2026 के लिए 7.01% रहने का अनुमान लगाया है। इसके अलावा कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है की दूसरी तिमाही के आंकड़ों के बावजूद कृषि उत्पादन और ग्रामीण मांग में सुधार के कारण दूसरी छमाही में विकास में तेजी आएगी। आज के निराशाजनक डाटा जारी होने के बाद वित्त वर्ष 2025 की दूसरी 6 माही के लिए दृष्टि को निश्चित रूप से मिश्रित है। हम खरीफ खाद्यान्न उत्पादन में मजबूत वृद्धि और जलाशय स्तरों के पुनः पूर्ति के बीच रवि फसलों के लिए आशावादी दृष्टिकोण के साथ-साथ भारत सरकार के पूंजीगत व्यय में बैक एडिट बढ़ोतरी की उम्मीद के कारण ग्रामीण मांग में संभावित सुधार के उम्मीद करते हैं। हालांकि ICRA शहरी खपत पर व्यक्तिगत ऋण वृद्धि में मंडी के प्रभाव के साथ-साथ कमोडिटी की कीमतों और बाहरी मांग पर भू राजनीति और तारीफ संबंधी विकास पर भी नजर रखता है।